एक नई और अनुभवहीन भारतीय टेस्ट टीम, जिसकी कमान पहली बार कप्तान बने Shubman Gill संभाल रहे हैं, इस सप्ताह इंग्लैंड में पांच टेस्ट मैचों की कठिन श्रृंखला से अपने सबसे कठिन दौर की शुरुआत करने जा रही है। यह मुकाबला लीड्स के हेडिंग्ले में शुरू होगा और चौथे वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) चक्र की पहली श्रृंखला होगी। साथ ही यह सीरीज़ नए नाम वाले “तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी” की पहली भिड़ंत भी होगी।

इस सीरीज़ की अहमियत काफी ज़्यादा है। इंग्लैंड आज तक एक भी WTC फाइनल नहीं खेल पाया है, जबकि भारत दो बार फाइनल में पहुंचा लेकिन 2021 में न्यूज़ीलैंड और 2023 में ऑस्ट्रेलिया से हार गया। ऐसे में एक जीत से दोनों टीमों की नई WTC यात्रा को मज़बूती मिल सकती है।
भारत ने पिछली घरेलू श्रृंखला में इंग्लैंड को 4-1 से हराया था, लेकिन वह जीत स्पिन-अनुकूल पिचों पर आई थी। इंग्लैंड की सीवन और स्विंग से भरी परिस्थितियों में असली परीक्षा बल्लेबाजों की तकनीक, धैर्य और मानसिक मजबूती की होगी।
इंग्लैंड की ‘बैज़बॉल’ रणनीति, कप्तान बेन स्टोक्स और कोच ब्रेंडन मैक्कलम के नेतृत्व में, भले ही बहस का विषय हो, लेकिन उसके नतीजे प्रभावशाली रहे हैं। 2022 से इंग्लैंड ने कोई घरेलू टेस्ट श्रृंखला नहीं हारी है। इसके उलट भारत हाल ही में लगातार असफलताओं, प्रमुख खिलाड़ियों के संन्यास और चोटों से जूझ रहा है।
इतिहास भी भारत के पक्ष में नहीं है। 1932 में लॉर्ड्स में टेस्ट डेब्यू के बाद से भारत ने इंग्लैंड का 18 बार दौरा किया है लेकिन सिर्फ तीन बार श्रृंखला जीती—1971, 1986 और 2007 में। वहीं भारत को चार बार क्लीन स्वीप का सामना करना पड़ा है।
इस बार भारत अपने चार सबसे अहम खिलाड़ियों के बिना है—रवींद्र अश्विन, रोहित शर्मा, विराट कोहली और मोहम्मद शमी। अश्विन ने पिछले साल ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान टेस्ट क्रिकेट छोड़ दिया, जबकि रोहित और कोहली ने इस दौरे से ठीक पहले संन्यास की घोषणा कर दी। शमी अब भी अपनी सर्जरी और रिहैब के बाद फिटनेस क्लीयरेंस का इंतज़ार कर रहे हैं।
इन बड़े नामों की अनुपस्थिति ने टीम को एक नए दौर में धकेल दिया है।

अब नज़रें Shubman Gill पर हैं, जिन्हें उपकप्तान Jasprit Bumrah के ऊपर कप्तानी दी गई है। यह निर्णय बुमराह की फिटनेस को ध्यान में रखते हुए लिया गया, क्योंकि वे पांचों टेस्ट खेलने को लेकर आश्वस्त नहीं थे। एक फिट बुमराह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाज़ों में गिने जाते हैं, लेकिन यदि वे पूरी श्रृंखला नहीं खेल पाए, तो भारत की संतुलित योजना प्रभावित हो सकती है।
हालांकि भारत के पास मोहम्मद सिराज, शार्दुल ठाकुर, प्रसिद्ध कृष्णा, अर्शदीप सिंह और नितीश रेड्डी जैसे विकल्प हैं, लेकिन कोई भी बुमराह के अनुभव और प्रभाव के करीब नहीं है। स्पिन विभाग में जडेजा और कुलदीप की जोड़ी मौजूद है, और वॉशिंगटन सुंदर बैकअप के तौर पर हैं।
सबसे बड़ी चुनौती बल्लेबाज़ी में है।
Rohit और Kohali के साथ 190 टेस्ट का अनुभव चला गया है। अब यशस्वी जायसवाल सबसे बड़े बल्लेबाज़ी उम्मीद बनकर उभरे हैं, और केएल राहुल एक स्थिर विकल्प हैं। घरेलू क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद साई सुदर्शन और अभिमन्यु ईश्वरन को मौका मिला है, और करुण नायर की टीम में वापसी हुई है।
लेकिन यदि भारत को टेस्ट जीतने हैं, तो Rishabh Pant और Shubman Gill को रन बनाने होंगे—खासकर गिल को, जो कप्तान भी हैं।
टेस्ट कप्तानी सिर्फ एक पद नहीं, एक परीक्षा होती है। Gill के लिए चुनौती प्रदर्शन के साथ-साथ नेतृत्व क्षमता भी साबित करने की है। कोच गौतम गंभीर पर भी दबाव है, जिन्होंने पिछली दो श्रृंखलाएं न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ गंवाई थीं।
भारतीय क्रिकेट एक बदलाव के दौर में है। टीम संक्रमण से गुज़र रही है, और रास्ता कठिन है—लेकिन नया नहीं।
1971 में भी भारत एक ऐसे ही मोड़ पर था।
तब चयन समिति के अध्यक्ष विजय मर्चेंट ने कप्तान मंसूर अली खान पटौदी को हटाकर अजित वाडेकर को कमान सौंपी। उस फ़ैसले ने इतिहास रच दिया—भारत ने पहली बार वेस्टइंडीज और इंग्लैंड दोनों जगह टेस्ट श्रृंखलाएं जीतीं।
वह बना था भारतीय क्रिकेट का स्वर्ण युग।
अब शुभमन गिल के पास है वैसा ही मौका—कठिन हालात में कुछ नया रचने का। क्या वह 2025 की गर्मियों को फिर से भारतीय गर्मी बना सकते हैं?